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रहस्यमाई चश्मा भाग - 55




सिंद्धान्त कर्दब एव जग्गू को अपनत्व का विश्वास दिलाने की हर सम्भव कोशिश करता वह जो भी दोनों कहते हर सम्भव कोशिश करके पूरी करता कर्दब जब भी मौका पाता सिंद्धान्त को मंगलम चौधरी सुयश के खिलाफ भड़काता रहता उसका एक ही मकशद था कि किसी तरह से सिंद्धान्त मंगलम चौधरी के खिलाफ खड़ा होकर चुनौती पेश करे और सुयश जिसे लूला कहता था को प्रतिद्वंद्वी मानकर उंसे अपने रास्ते से हटाने का कार्य करे सिंद्धान्त दिमागी तौर पर बहुत परिपक्व एव गम्भीर था जबकि जग्गू और कर्दब आपराधिक मानसिकता के असंतुलित हल्के किस्म के लोग सिंद्धान्त हर तरह से विश्वास दिलाने में कामयाब हो गया कि वह जग्गू और कर्दब के अनुसार ही कार्य करता रहेगा उसने ऐसी शर्तो को भी स्वीकार कर लिया,,,


 जिससे चौधरी साम्राज्य की चूले हिल जाय कर्दब और जग्गू को यकीन हो गया कि सिंद्धान्त अब उनके ही विचारों का सिंद्धान्त है तो एक दिन जग्गू अपनी पत्नी इमिरीतिया को लेकर कर्दब के साथ आया और बोला सिंद्धान्त बाबू मैं तो जो कहूंगा भरोसा नही करोगे लेकिन मेरो घरवाली ने ही तुम्हे दुनियां में सलामत लाने के लिए बहुत मेहनत किया था सिंद्धान्त तो जैसे अपने खून की वास्तविकता जानने के लिए बेचैन पागल था वह किसी भी कीमत पर अपने रगों में दौड़ते खून कि सच्चाई जानने के लिए उतावला था,,,,


उसने इमिरीतिया से सवाल किया तुम क्या जानती हो मैं किसकी नाजायज औलाद हूँ इमिरीतिया ने बताया कि सिंद्धान्त बाबू तुम जिसकी औलाद हो उंसे हम नाम से तो नही जानते लेकिन तुम्हे जन्म कराने में मैं ही अकेली ऐसी हूँ जिसने सारा काम दाई का किया मैं इतना ही बता सकती हूँ कि तुम लावारिस नही हो और हो सकता है तुम्हारा बाप हो जिसके बारे में कर्दब ही बता सकते है सिंद्धान्त ने इमिरीतिया से पूछा मेरी माँ कहां है इमिरीतिया ने बताया वह जन्म देते ही चल बसी दुनियां छोड़ गयी और तुम्हारा बाप उंसे छोड़कर चला गया इमिरीतिया की बात सुनते ही सिंद्धान्त जैसे किसी बच्चे की तरह फफक कर रोने लगा इमिरीतिया के जाने के बाद बहुत देर तक कर्दब और जग्गू सहानुभूति के नाम पर उसके जख्मो को धीरे धीरे उकेरते रहे सिंद्धान्त को सिर्फ अब अपने बाप के विषय मे जानना शेष था कर्दब ने कहा सिंद्धान्त बाबू तनिक धीरज धरो तुम्हारा बाप भी मिल जाएगा और कर्दब और जग्गू ने सिंद्धान्त को उसके बाप से मिलवाने का आश्वशन देकर उल्टे सीधे काम करवाना तो शुरू ही कर दिए,,,,


पैसा भी ऐंठने लगे धीरे धीरे सिंद्धान्त कर्दब जग्गू और सभी के पीछे नत्थू की कठपुतली बनकर रह गया और मंगलम चौधरी के मिलो में मजदूर मनमानी करने लगे मिलो में अराजकता की स्थिति फैल गयी और सिंद्धान्त सब कुछ मूक बनकर देखता रहता जब जग्गू एव कर्दब को पूरी तरह विश्वास हो गया कि सिंद्धान्त मंगलम चौधरी का विश्वास खो चुका है तब दोनों सिंद्धान्त को एक निर्जन स्थान पर ले गए जहां नत्थू पहले से ही मौजूद था,,,,

सिंद्धान्त के पहुंचते ही बोला आओ बेटे तुम्हारे इंतज़ार में मैने इतने दिन कैसे गुजारे है तुम्हे अंदाज़ा नही सिंद्धान्त ने ज्यो ही नत्थू को देखा वह चिल्लाने लगा नही यह हमारा बाप नही हो सकता जबकि सिंद्धान्त पहले कभी नत्थू से नही मिला था ना ही जानता था सिंद्धान्त का इस तरह पागलों की तरह चिल्लाना देखकर नत्थू बोला बेटे तुम्हारे चिल्लाने से कुछ भी अब नही बदलनेवाला मैं ही तुम्हारा बदनसीब बाप नत्थू हूँ अब तो जैसे सिंद्धान्त को सांप सूंघ गया हो उसने नत्थू कि क्ररता के बहुत से कारनामे सुन रखें थे,,,


सिंद्धान्त झल्लाते हुये बोला मुझे यकीन नही हो रहा है कि मैं आप जैसे जल्लाद कि औलाद हूँ ऐसा कैसे हो सकता है नत्थू ने कहा बेटे दुनियां जबसे बनी है शायद पहली बार कोई औलाद अपने बाप से ही उसकी संतान होने का सबूत मांग रहा है इमिरीतिया को नत्थू ने पहले ही बुला रखा था वह नत्थू को देखते ही थर थर कांप रही थी ज्यो ही नत्थू ने इमिरीतिया को आवाज दी इमिरीतिया बाहर आई और सिर्फ इतना ही कह सकी की सिंद्धान्त बाबू नत्थू ही तुम्हारा बाप है सिंद्धान्त ने माँ के विषय मे जानना चाहा तभी नत्थु ने गुर्राते हुये इमिरीतिया को इशारा किया और वह डरी सहमी चली गयी सिंद्धान्त ने नत्थू से प्रश्न किया कि आप मेरे जन्म दाता है तो आपने मुझे कचरे के डिब्बे में क्यो मरने के लिए छोड़ दिया,,,,,

कल्लू ने तब अपने पीढ़ियों की गुलामी जलालत अपमान कि कहानी सुनाई जिसे उसने यशोवर्धन के परिवार की पुश्तेनी चाकरी में देखा और जिया था यह भी बताया कि उसने यह सौगंध ले रखी है कि ऊंच नीच अमीर गरीब आदि की असमानता जो भारत मे अभिशाप है को समाप्त करने के लिए ही उसने सामाजिक समानता न्याय कि लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है जमीमदार और सामंती मानसिकता का भरतीय समाज मे दो ही वर्ग है एक जमीदार बाकी सभी मजदूर सिंद्धान्त ने फिर पूछा कि आपकी दुश्मनी तो यशोवर्धन से थी उनका तो आपने नाश कर दिया अब मंगलम चौधरी से आपकी क्या दुश्मनी है जिसने आपकी औलाद को बाप से बढ़कर स्नेह सम्मान दिया और पाला नत्थू ने कहा बेटा सिंद्धान्त मेरी दुश्मनी हर सामन्तशाही से है फिर भी तुम्हे बताये देता हूँ,,,,


मंगलम चौधरी यशोवर्धन कि बिन व्यहता बेटी शुभा के पति कह सकते है लगते है शुभा और मंगलम का विवाह निश्चित हुआ था और शुभा मंगलम के बेटे की माँ बनने वाली थी लेकिन उसी समय बटवारे के दंश से यशोवर्धन का पूरा परिवार दंगे कि भेंट चढ़ गया शुभा गर्भावस्था में पता नही कैसे बचते बचाते गांव पहुच गयी मैंने बहुत कोशिश किया कि उसे गांव में पनाह न मिले लेकिन मंदिर पर रही औऱ वही सुयश का जन्म हुआ सुयश को समझ गए सुयश मंगलम चौधरी का अपना खून है और जब उसे इस बात का पता चलेगा वह तुम्हे तुम्हारे बाप नत्थू कि तरह ही पुश्तेनी चाकर बनाकर रख देंगे तुम कर भी क्या पाओगे सुयश का अधिकार ही मंगलम चौधरी पर है एक तो सुयश ने मंगलम चौधरी के लिए ही अपना दाहिना हाथ गंवाया और दूसरा की उसकी माँ शुभा जो शायद इस दुनियां में जिंदा हो भी सकती है,,,,



जारी है



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